Saturday, 2 April 2016

सनातन हिन्दू धर्म (Sanatan Hindu Dharma) ही भारत की सांस्कृतिक धारा है

हिन्दू धर्म एक प्राचीन संस्कृति की  प्रवाहित धारा है। और जो भी पंथ इस सांस्कृतिक धारा से इतर हुए या होने का प्रयास किया वह सदैव के लिए इस अखण्ड सांस्कृतिक धारा में विलीन हो गया।  अर्थार्थ जो भी मत, पंथ या संप्रदाय अपने सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति की प्रवाहित धारा से पृथक हुए उनकी दशा हमारे सम्मुख है। जहां जहां भी प्राचीन संस्कृति की धारा प्रवाहित थी वहां ये मत, पंथ, संप्रदाय उस संस्कृति का या प्रवाह अधिक समय तक रोक न पाये वरन उस सांस्कृतिक धारा प्रवाह को रोकने के चक्कर में वह मत,पंथ,संप्रदाय स्वतः नष्ट या विलीन हो गए।

                                              परन्तु जहाँ जहाँ भी संस्कृति की धारा प्रवाह नहीं थी भारत से दूर उन प्रदेशों व स्थानों में यह मत, पंथ, संप्रदाय चल सके। व इन्होने ही उस संस्कृति रिक्त स्थानों में एक नय संस्कृति का रूप ले लिया।  जिनमे कुछ तो भूगोलिक थीं या भूगोलिक परिवेश था परन्तु कुछेक स्थानों पर इसका विपरीत ही हुआ और जो भी नई संस्कृति बनी उसमे भूगोलिक परिवेश नगण्य था। जिसके परिणाम स्वरुप उन दूरस्थ प्रदेशों की संस्कृति पूर्णरूप से विलीन हो गई।

                                              इसका मुख्य उदाहरण है बौद्ध पंथ, बौद्ध पंथ भारत से दूरस्थ स्थानों, प्रदेशों में तो फलीभूत हुआ परन्तु इसके विपरीत अपने जन्मस्थान भारतवर्ष में नष्ट हो गया। इसी प्रकार दूसरों का आदर्श लेकर अपनी संस्कृति की जीवनधारा से पृथक होकर चलने वाले जो प्रयत्न होंगे, वह अधिक देर तक टिक नहीं सकेंगे। हमारी संस्कृति की अखण्ड धरा भूले भटके को अवश्य ही राह पर लाएगी।